मैं और माँ

मेरे मौन को समझता कौन
मेरे निशब्द आत्मा में शब्द डालता कौन
मेरी झुंझलाहट मेरी बेरुखी झेलता कौन
मेरी माँ ही थी और कौन
मन आए तो हाल बताना नहीं तो यूँही टालना
कभी कमजोर पड़ कर सब जताना
कभी शेर की तरह उनसे ही दहाड़ना
मेरे सारे ऐब छुपाकर, मुझे प्यार करता कौन
मेरी माँ ही थी और कौन !
मेरे सारे मरे सपनों को जगाना,
मुझे मुझसे फिर मिलाना, ये सब् करता ही कौन
मेरी माँ ही थी और कौन!!!
प्रियाशा

Published by Priyanka Priyadarshini

unpolished poet.

2 thoughts on “मैं और माँ

  1. Bahut hi Umda…👌👌
    Very well said
    Maa se Jyada Kon samjha skta h and kr skta h… nobody 👍👍

    Salute all mothers …🙏🙏

    Keep up the good work 👌👌👍👍

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