काफ़िराना

इश्क किया मैने कभी इल्ज़ाम नहीं लगाया
तुम्हारी बारी में तुमने मिज़ाजे ग़ालिब तक सुनाया!
अब मेरी रुक्सत का नज़ारा भी हसीं होगा,
तू गैरो में सही होगा, मुझमें मीर घुला होगा!
तू बस अल्फ़ाज में होगा, किसी के ताज़ में होगा,
मैं तो किसी अपने की रुह मे नाज़ में होंगा!
जब तू किसी कीमती पश्मीने में – लिपटा होगा ,
मेरा इश्क मेरे साथ चलने का दम भरेगा!

Published by Priyanka Priyadarshini

unpolished poet.

9 thoughts on “काफ़िराना

Leave a reply to Albela Cancel reply

Design a site like this with WordPress.com
Get started