फ़ितरत

रिहाई मांगी थी हमने तुमने बेवफाई दे दी
अपने हिस्से की खुशिया मांगी हमने
सारे जन्नत की बेरुखाई तुने हमें दे दी
दिल ने एक ख्वाब संजोया था खुद से
तूने टूटे ख्वाब की पेशवाई हमें दे दी
चुन चुन कर किस्से तमाम करता है तू
दूसरो की बारी में रेहनुमाई तूने देदी
फिर भी भरोसा टूटा नहीं मीर का
तू ख़ुदा है , मेरे कर्मों की कारवाई तुझे दे दी!!

Published by Priyanka Priyadarshini

unpolished poet.

2 thoughts on “फ़ितरत

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