तन्हाई

जज्बातें जुनून था मेरा इश्क
लफ़्ज़ों का सुकून था मेरा इश्क
मेरे लिए फिरदौस था मेरा इश्क़
अब ना जाने कहाँ गुम हुआ वो इश्क
ना सिरहाने में दिखता है ना दरवाजे पर बैठा है
मुख्तलिफ रास्तों में भटका है, किसी अनजाने कों ढूढ़ता है l
तेरी आश मे बैठा है, किसी की काश में बैठा है
मुझसे आकर मिल तेरी ही तलाश में बैठा है ।

Published by Priyanka Priyadarshini

unpolished poet.

One thought on “तन्हाई

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